CG High Court News: रोजगार पंजीयन न होने के आधार पर नियुक्ति से नहीं किया जा सकता वंचित

CG High Court News: हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि रोजगार पंजीयन जीवित नहीं होने के आधार पर नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अन्य अर्हता पूरी करने पर उप अभियंता सिविल के पद पर नियुक्ति देने राज्य शासन को निर्देश जारी किए हैं।

वंदना साहू ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से याचिका प्रस्तुत कर बताया कि उप अभियंता सिविल के 70 पदों के लिए लोक निर्माण विभाग की ओर से विज्ञापन जारी किया गया था। इसमें याचिकाकर्ता वंदना साहू ने भी भाग लिया था। इसके बाद उन्हें सात मार्च 2022 को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया। काउंसिलिंग के बाद उसे यह कहते हुए अपात्र घोषित कर दिया कि उन्होंने 29 नवंबर 2019 को जारी रोजगार पंजीयन प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है।

जबकि विज्ञापन में उल्लेखित शर्त के अनुसार आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 13 जनवरी 2019 थी। इस कारण उसके बाद का रोजगार पंजीयन मान्य नहीं है। उक्त अपात्र घोषित करने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के निर्णय के अनुसार जीवित रोजगार पंजीयन नहीं होने के आधार पर किसी अभ्यर्थी को नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। रोजगार पंजीयन का नियुक्ति से कोई संबंध नहीं हैं।

लिहाजा आदेश को निरस्त किया जाए। शासन की ओर से जवाब पेश किया कि विज्ञापन में एवं सामान्य प्रशासन के परिपत्र के अनुसार नियुक्ति के लिए रोजगार पंजीयन जीवित होना आवश्यक है। इस कारण याचिकाकर्ता को अपात्र घोषित किया गया। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस पी सेम कोशी ने कहा कि पूर्ण पीठ के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में विज्ञापन में रोजगार पंजीयन की शर्त गलत है।

नियुक्ति के लिए जीवित रोजगार पंजीयन का होना आवश्यक नहीं है। इस कारण अपात्र घोषित करने का आदेश निरस्त किया जाता है। साथ ही निर्देशित किया गया है कि अन्य अर्हता पूरी करने पर याचिकाकर्ता को उप अभियंता सिविल के पद पर नियुक्ति दी जाएगी।

 

 

 

 

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